" हर तरफ सूखा पड़ा | Sad Poetry by Nitin Bhavsar

" हर तरफ सूखा पड़ा "
बंजर सी ज़मीन प्यासी,
पानी को है तरस रही ।।
सब जगह सूखा पड़ा है,
काले बादल दिखते नहीं ।। 
लाखों किसान मायूस बैठे,
आप मेघराज दिखते नहीं ।।
गरजो बरसो तुम भयंकर,
सूनी ज़मीन रो रही ।।                    
महंगाई है चरम पर,
दुनिया पानी को तरस रही ।।
हम तो रो लिए खूब ए बादल,
तुम भी अब रोलो थोड़ा सही ।।
Regards - Nitin Bhavsar
Fb Page - Kavi.NitinBhavsar
Youtube - bhavsarni3
Blog - http://www.nitin-bhavsar.blogspot.in

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