" पारदर्शी हिन्दुस्तानी " | Poetry by Nitin Bhavsar

" पारदर्शी हिन्दुस्तानी "

मैं हु वो कंकड़, जो चट्टानों से टकरा जाता,
मैं हु वो नदिया का पानी,
जो समंदर में भी मिल जाता ||

मैं हु अग्रसर हो रहे भारत की परछाई,
जो अपने बलबूते पर, विश्वभर में छा जाता ||

मैं हु निडर के जैसे नदिया का बहता पानी,
कही भी रुख मोड़ लेता अपना,
और दुनिया मानती मेरी कहानी ||
मैं हु स्वर्णिम भारत का नागरिक,
और ये है मेरी मेहनत की ज़ुबानी ||

जहा भी जाओगे, पाओगे मुझे जरुर वहां,
ऐसा हु सक्षम में भारतवासी,
हर जगह पैर जमा हुआ है मेरा,
मेरी मौजूदगी लाती तरक्की हर जगह,
दूर कर देता मैं दुनिया की उदासी ||

मैं हु इंजिनियर, मैं हु डॉक्टर, मैं हर बड़ा वो विद्वान,
मेरी शिक्षा, मेरे संस्कार, मेरा देश है मेरी ताकत,
कर सकता हु हर समस्या का सरल निदान ||

मैं कोई शांत प्रवत्ति जीव नहीं,
जाऊ जिधर भी, लता उन्नति का तूफ़ान हु,
मैं हु भारतवासी, बना रहा हर जगह अपनी एक पहचान हु ||
गर्व से कहता हूँ, मैं हु भारतवासी,
और मेरा देश महान,
मौजूद हु हर जगह अपनी मेहनत से,
फैला रहा विश्वभर में अपना सम्मान हु ||

क्या करू तरक्की, उन्नति खून में है मेरे,
ऐसा में सक्षम भारत का जवान हु ||

Jai Hind.. Jai Bharat..
Regards - Nitin Bhavsar, INDIA
FB Page: Kavi.NitinBhavsar


Post a Comment

0 Comments