Mere Pita ka Saaya - Importance of a Father | ft. Nitin Bhavsar

मेरे पिता का साया
मेरी ख्वाहिशों के मंजर में,
मुश्किलों का काफ़िला।
इतना बड़ा है के,
मैं खुद ही घूम गया ।
रहना था पिता के साथ,
फसा हूं अब ऐसा
के फासला अब ,
पहले से भी ज्यादा बड़ गया ।
जिसने बड़ा किया,
उससे ही दूर हूं मैं ।
ज़िन्दगी की जद्दोजहद में,
मेरे पिता का बुढ़ापा बढ़ गया ।
सोचता हूं काश उसने इतना,
पढ़ाया लिखाया ना होता ।
नौकरी और जिम्मेदारियों के चलते,
बेटा पापा से बिछड़ सा गया ।
कैरियर, औधे की इस आंधी में,
सब कुछ तितर-बितर सा गया ।
बस कर री ज़िन्दगी तू,
जिसकी बदौलत आज हूं जहां,
वो मुझसे बहुत दूर रह गया ।
Regards - Nitin Bhavsar

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