(It’s raining in Mumbai)
हो रही है तेज बारिश, बंद हो गयी है सारी लोकल
फस गया है मेरा दोस्त इस बारिश में, जिसका नाम है दीपक ठोकल !!
मुंबई बारिश के डर से, स्लम में रहने वाला इंसान भी घबरता है
पता नहीं कही डह ना जाये खोली मेरी, हर समय सोच कर यही डरता है !!
फिर ये तो है मेरे देश की सो कॉल्ड आर्थिक राजधानी
छोटी छोटी गलिया तो दूर, यहाँ तो हाईवे पर भी भरता है पानी !!
फिर शुरू होती है राजनीती, मुंबई नेता फिर फलाना फलाना बोलता है
नहीं होगा अगले साल ऐसा कुछ, कहकर वोटिंग मशीन के तराजू में हमको तोलता है !!
इतनी बढती हुई परेशानिया, मेरा मन अंदर ही अंदर टटोलता है
आखिर क्या सोचकर ये नेता जनता के सामने, इतना बोलता है !!
हो जाते है वांदे, नहीं मिलती खाने को सब्जी
फिर चलाओ बस काम खाकर मुम्बैया वडापाँव भज्जी !!
आप भी बड़े चतुर है सोच लिया वडापाँव भज्जी भी कैसे? लगता है उसमे भी प्याज और आलू
थोडा रहम करो मालिक में भी अपनी कविताओ की दूकान चलालू !!
कहने का मतलब साफ़ है जीवन तहस नहस हो जाता है
लेकिन छुट्टी मारने में मज़ा भी बड़ा खूब आता है !!
लेने जाओ कही भी कुछ भी तो सुनते है माल का सप्लाय शोर्टर है
वाह री मुंबई बॉलीवुड तो छोड़, तेरे यहाँ तो बारिश का भी हेड क्वार्टर है !!
मुंबई को शांगाई तो नहीं पर एक दिन श्रीनगर जरुर बना देंगे
बारिश के मौसम में लोकल/ बेस्ट बंद कर
मेरे देश के नेता कम से कम नाव ही चलवा देंगे !!
सिर्फ बारिश ही नहीं, प्यारी मुंबई है बहोत कुछ और सहती
बेवजह हर साल बारिश के अलावा, यहाँ खून की भी नदिया है बहती !!
फिर भी चलती रहती है हमेशा तेज सदा
किसी से भी ये अपना दर्द ना कहती !!
में हूँ मुंबई की बारिश, मुंबई की ही तरह परेशान हूँ
नहीं है मेरा भी कोई घर यहाँ
कभी बहती हूँ किसी रोड पर तो कभी किसी की दूकान हूँ !!
नितिन भावसार (पुणे)
1 Comments
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