श्री श्री 72000 पप्पू को समर्पित - “ दो कौड़ी का नेता “
दो कौड़ी का नेता है,
जब देखो तब घूस लेता है।
सत्ता भोग का प्यासा पप्पू,
जहाँ देखो वहाँ, पीड़ा देता है।
जब देखो तब घूस लेता है।
सत्ता भोग का प्यासा पप्पू,
जहाँ देखो वहाँ, पीड़ा देता है।
उठा रहा जनता का बीड़ा,
ये अजीब ही कीड़ा है।
तौलता ग़रीबों को पैसे से,
पालता भ्रष्टों को संगत में,
कहता फिरता मेरे पास समाज सेवकों का ज़ख़ीड़ा है।
ये अजीब ही कीड़ा है।
तौलता ग़रीबों को पैसे से,
पालता भ्रष्टों को संगत में,
कहता फिरता मेरे पास समाज सेवकों का ज़ख़ीड़ा है।
दो कौड़ी का नेता है,
बातें बड़ी-बड़ी ये करता है।
चूसता ख़ून जनता का हर समय,
और हर कोई इसको सहता है।
बातें बड़ी-बड़ी ये करता है।
चूसता ख़ून जनता का हर समय,
और हर कोई इसको सहता है।
दो कौड़ी का नेता है,
इसकी रगों में पापी ख़ून बहता है।
सोच समझकर करना मतदान,
ये देशभक्त जनता से कहता है।
इसकी रगों में पापी ख़ून बहता है।
सोच समझकर करना मतदान,
ये देशभक्त जनता से कहता है।
दो कौड़ी का नेता है,
चमचों का चहेता है।
ख़ुद ज़मानत पर बाहर बैठा है
दूसरों को जेल भेजने को कहता है।😂
चमचों का चहेता है।
ख़ुद ज़मानत पर बाहर बैठा है
दूसरों को जेल भेजने को कहता है।😂
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