In memory of my lost strength - माँ
बचपन में तो खोया रहता था,
माँ तू ही मुझे खिलाती थी !!
मैं तो हर पल सोया करता था,
माँ तू ही ममता के आँचल में लोरी सुनाती थी !!
रोता रहता था तेरी गोद में सदा,
और तू मेरे कारण सो नहीं पाती थी !!
रात भर जगाती माँ तू मेरे डाईपर बदलती थी,
रात में जल रही दीपक की लों की तरह,
तेरी निंदिया भी जलती थी !!
माँ मेरा बचपन तो ऐसा लगता के जैसे बचपन नहीं,
माँ वो तू खुद थी,
बिना किसी और का सोचे पल पल मेरी सेवा करती थी !!
हो जाये हल्का सा बदन गरम मेरा,
तो मेरी फिक्र में तू डरती थी,
मेरा बचपन सवारने के कारण,
माँ तू खुद कब कुछ अपने लिए करती थी !!
माँ तेरी कमी तो इस दुनिया की कोई भी चीज़ नहीं भरपाई है,
में तो हू तेरा बेटा बस, पर तू मेरी परछाई है !!
माँ तू ही मेरी काया है और तू ही मेरा दर्पण,
तेरे इस विशाल रूप को करता हू मेरा जीवन अर्पण !!
माफ करना अगर मैं कभी तेरे प्रेम को भुलजाऊ,
या तेरी ममता से टकराऊ,
मान लूँगा जीवन सफल मेरा, अगर तेरी ममता के सागर के प्रति,
कुछ तिनका भी कर जाऊ, कुछ तिनका भी कर जाऊ !!
I love you Maa!!
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By: Nitin Bhavsar
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